नई दिल्ली। मुंबई स्थिति डिफेंस शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में एक बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है। चीन की नाक के नीचे भारत की कंपनी ने बड़ी डील हासिल करके समंदर में अपनी ताकत का परचम लहराया है। मझगांव डॉक ने लगभग 452 करोड़ रुपये के नकद सौदे में कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में एक 51 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है।
हिंद महासागर में बढ़ेगी भारत की ताक
यह भारत के सबसे बड़े शिपयार्ड द्वारा पहला अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण है। यह कंपनी पनडुब्बियों, युद्धपोतों और अन्य जहाजों का निर्माण करता है। यह कदम भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में एक 'रणनीतिक पैर जमाने' में भी मदद करेगा। इस क्षेत्र में चीन अपनी बैठ बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत के लिए यह डील बहुत ही महत्वपूर्ण है।यह भी पढ़ें- कनाडा से लड़ाई के बाद चीन इस चीज के लिए भारत पर हुआ निर्भर, एक झटके में 10 गुना बढ़ गई मांग
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मझगांव शिपबिल्डर्स ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि यह अधिग्रहण अनुसंधान विकास क्षमताओं को बढ़ाकर और बाजार पहुंच का विस्तार करके जहाज मरम्मत और जहाज निर्माण उद्योग में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कंपनी की दीर्घकालिक विकास में मदद करता दिख रहा है।
शेयर खरीद के जरिए किया जाएगा निवेश
रिपोर्ट के अनुसार मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में प्राथमिक निवेश 452 करोड़ रुपये का निवेश प्राथमिक निवेश और secondary share purchases के जरिए करेगी। इसमें सबसे अधिक शेयर धारक Onomichi Dockyard Co Ltd के शेयरों को खरीदना भी शामिल है। यह कदम भारत के अमृत काल विजन 2047 का हिस्सा माना जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत के क्षेत्रीय समुद्री प्रभाव को मजबूत करना और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड को वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान दिलाना है।मझगांव डॉक की सहायक कंपनी बन जाएगी कोलंबो डॉकयार्ड
श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी (Colombo Dockyard PLC) भारत के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited) की सहायक कंपनी बन जाएगी। प्रस्तावित अधिग्रहण 4 से 6 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। यह किसी भारतीय शिपयार्ड (सरकारी और निजी दोनों) द्वारा विदेश में शिपयार्ड अधिग्रहण का पहला मामला है।यह भी पढ़ें- Explainer: भारत के पास रेयर अर्थ एलिमेंट्स का तीसरा बड़ा भंडार, फिर क्यों हम चीन पर निर्भर? समझिए असली बातटाइम्स ऑप इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार कैप्टन जगमोहन ने इस समझौते को लेकर कहा, "कोलंबो बंदरगाह पर CDPLC के रणनीतिक स्थान, सिद्ध क्षमताओं और मजबूत क्षेत्रीय उपस्थिति के साथ, यह कदम MDL को दक्षिण एशिया में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा और वैश्विक शिपयार्ड के रूप में हमारे की विकास की नींव रखेगा।"
50 साल से अधिक का अनुभव
Colombo Dockyard PLC के पास जहाजों की मरम्मत करने और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 50 साल से अधिक का अनुभव है। इस सौदे के अलावा मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड भारतीय नौसेना के लिए छह नई स्टील्थ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों बनाने की परियोजना पर काम कर रही है। इन पनडुब्बियों का निर्माण MDL जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम (TKMS) के साथ मिलकर कर रही है।
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